जब हम ये सोचते हैं कि बुरा आदमी बुरा या गलत काम क्यों करता तो हमारे मन में कई सवाल उत्पन्न होते हैं जैसे -
१ बुरा क्यों बनता है ?
२ बुरा कौन बनता है ?
३ बुरा कब बनता है ?
उपरोक्त सारे सवालों केजवाब - आपको नीचे की पंक्तियों में प्राप्त होगी -
* इन्शानियत से बढ़ कर कोई धर्म नहीं होती पर लोग कहते है मैं हिन्दू हू मेरा धर्म सबसे बड़ा है ,कोई कहता है मैं मुहम्मद पैगम्बर साहब को मानता हू अल्लाह का बन्दा हु मेरे लिए सबसे बड़ा मुस्लिम धर्म है , शिख धर्म गुरु नानक को मानने वाले बोलते हैं मेरा धर्म सबसे प्यारा है , इशाई कहता है मेरा ईशू परमेश्वर है इसलिए मेरा धर्म सबसे बड़ा है।
किन्तु मेरा मानना है कि जब कोई व्यक्ति किसी एक जनसमूह के प्रति या धर्म के प्रति ज्यादा धार्मिक या पक्ष पाती हो जाता तभी से उसके जीवन में बुराई प्रवेश करने लगती है और वह इन्शानियत को भूलकर किसी एक छोटे जनसमूह या धर्म के हित के लिए अपना सबसे बड़ा धर्म मानवता को भूल कर गलत रस्ते पर चल पड़ता है और आतंकवाद,उग्रवाद,जातिवाद,क्षेत्र वाद जैसी बुराईयों को जन्म देती है।
* इन्शानियत से बढ़ कर कोई धर्म नहीं होती पर लोग कहते है मैं हिन्दू हू मेरा धर्म सबसे बड़ा है ,कोई कहता है मैं मुहम्मद पैगम्बर साहब को मानता हू अल्लाह का बन्दा हु मेरे लिए सबसे बड़ा मुस्लिम धर्म है , शिख धर्म गुरु नानक को मानने वाले बोलते हैं मेरा धर्म सबसे प्यारा है , इशाई कहता है मेरा ईशू परमेश्वर है इसलिए मेरा धर्म सबसे बड़ा है।
किन्तु मेरा मानना है कि जब कोई व्यक्ति किसी एक जनसमूह के प्रति या धर्म के प्रति ज्यादा धार्मिक या पक्ष पाती हो जाता तभी से उसके जीवन में बुराई प्रवेश करने लगती है और वह इन्शानियत को भूलकर किसी एक छोटे जनसमूह या धर्म के हित के लिए अपना सबसे बड़ा धर्म मानवता को भूल कर गलत रस्ते पर चल पड़ता है और आतंकवाद,उग्रवाद,जातिवाद,क्षेत्र वाद जैसी बुराईयों को जन्म देती है।
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